3 yr. ago
*मीठा पाएगा फल*
जीवन बन जाएगा, फूल महकता सरसों का
काम आएगा जरूर, पुरुषार्थ तेरा बरसों का
चुभती सख्त धरती को, समझ मां की लोरी
पकवान समझकर खा ले, रोटी भी तू कोरी
नगर शहर और गांव, चाहे तू कहीं भी जाना
सद्गुणों की सुगन्ध, भूलकर भी ना मिटाना
ढला है दिन पश्चिम में, पूरब से ही निकलेगा
तेरा अपना भाग्य, समय पर जरूर बदलेगा
कर्म ही तेरे हाथों में, बस यही तू करता चल
इरादे नेक रख अपने, तो मीठा पाएगा फल
*ॐ शांति*
*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर*
जीवन बन जाएगा, फूल महकता सरसों का
काम आएगा जरूर, पुरुषार्थ तेरा बरसों का
चुभती सख्त धरती को, समझ मां की लोरी
पकवान समझकर खा ले, रोटी भी तू कोरी
नगर शहर और गांव, चाहे तू कहीं भी जाना
सद्गुणों की सुगन्ध, भूलकर भी ना मिटाना
ढला है दिन पश्चिम में, पूरब से ही निकलेगा
तेरा अपना भाग्य, समय पर जरूर बदलेगा
कर्म ही तेरे हाथों में, बस यही तू करता चल
इरादे नेक रख अपने, तो मीठा पाएगा फल
*ॐ शांति*
*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर*
